मुझे करार नही
हाय एक पल भी मुझे करार नही
तू भी कह दे के मुझसे प्यार नही
तुझसे मिलने को बेकरार हूँ मै
मेरी तरह तू क्यों बेक़रार नही
मैं अपने गम छुपा लूँ सारे
तुझे क्यों मुझपे ऐतबार नही
हाल ए दिल किसको अब सुनाऊँ
जब सुनता ही मेरा यार नही।।
मेरा तो एक बस तू है मेरा
तुझको चाहने वाले हज़ार सही
दर्द की बस्ती का मैं बाशिंदा हूँ
मुझको ले चल इसके पार कहीँ
यूँ ही जीना बेकार है अब मेरा
जब तलक मिलता दिलदार नही
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