खुशकिस्मत वो होतें हैं

ये तड़प भी कहाँ सबके नसीब होती है
खुशकिस्मत होतें हैं जो तुझपे मरते हैं

मेरे नसीब में कहाँ के तुझे चाह सकूँ
खुशकिस्मत होते हैं जो तुझसे इश्क़ करते हैँ

तेरे दीदार को तरसती हैं ये प्यासी ऑंखें
खुशकिस्मत होते हैं जो रोज़ तेरा दीदार करते हैँ

ना खुद की खबर है न दुनिया से है मतलब
खुशकिस्मत होतें हैं जो वास्ता तुझ से रखतें हैँ

मेरी औकात नही इतनी की सलाम भी हो
खुशकिस्मत होतें हैं जो तेरे दर पे सज़दा करते हैँ

मर जाऊँ मौत ऐसी की खबर न हो कभी मेरी
खुशकिस्मत वो होते हैं जो तेरे दर पे मरतेँ हैं

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून