बेचैनी इश्क़ की

बेचैनी इश्क़ की बढ़ती जाती है
हर पल अब तेरी याद आती है
तू कभी सुनता नही है फरियाद
आये न तुझे कभी भी मेरी याद

क्या ये इश्क़ बस एकतरफा है
की मुझे है तुझे हुआ ही नही
तीर मारे जो तूने नज़रो से
तूने सोचा मुझे लगा ही नही

जाने कब से तुझे दिल दे दिया
एक पल को भी न चैन लिया
अब तो आजा जान पे बन आई
आब तो आजा दिल ने पुकार लगाई

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