कही जावे न बिरहा पीर
कही जाए ना बिरहा पीर
नैन झरे मोरे सखी रैन दिन,क्षण क्षण रहूँ अधीर
नैना बिन देखत अकुलावें ,बरसें ज्यूँ बरसे नीर
सुधि बिसरी खान पान सब छुट्यो ,काँटों भया सरीर
प्रियतम बिन अकुलावे बाँवरी, बैठी जमुना तीर
आवो प्रियतम आन मिलो अबहुँ , मेटे न मिटे याहि पीर
तुम्हीं आवो सुधि लो नाथ मेरो ,प्राण जावै छोड़ि सरीर
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