कबहुँ मन लागे चरण तेरो
कबहुँ मन लागे चरण तेरो कबहुँ प्रीति जावे जाग
कबहुँ रसना हरि हरि रटे कबहुँ जागे मेरो भाग
कबहुँ नाम धन मिले मोहे कबहुँ हरि बिरह पाऊँ
कबहुँ विषयन सों मन छूटे हरि हरि नाम मैं गाऊँ
कबहुँ नैनन सों तोहे देखूं कबहुँ सेवा तेरो पाऊँ
कबहुँ क्षण क्षण हरि रस रह्यो मेरो उर समाय
कबहुँ सुधि लीजौ मेरे सद्गुरु हरि सों दियो मिलाय
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