मेरे प्रियतम
क्या सदैव मेरे हृदय रहेगी
विरह वेदना ही प्रियतम
क्या क्षण क्षण यूँ ही तपना
हुआ मेरा भाग्य प्रियतम
क्या मेरी प्यासी अखियाँ
देखें तेरी राह प्रियतम
क्या तपती हुई धूप में
मिलेगी प्रेम छाँह प्रियतम
क्या सदा उठती रहेगीं
भाव तरंगें ही प्रियतम
क्या हृदय में जगती रहेंगी
मिल्न उमंगें ही प्रियतम
आ जाओ बहुत हो गयी
अब प्रतीक्षा हे प्रियतम
जाने मेरे भाग्य में कितनी
और परीक्षा है प्रियतम
तुमको सुख हो तो न मिलना
रहूँ सदा अतृप्त प्रियतम
तुम्हारे सुख वर्धन से
ना होऊं कभी तृप्त प्रियतम
विरह वेदना में दृष्टिगोचर
सब तुम ही तुम प्रियतम
देखूँ तुमको फिर भी पुकारूँ
आँखें रहें मेरी नम प्रियतम
क्या तुम मेरे हृदय में ही
सदा रहते हो प्रियतम
सुनती हूँ मैं बातें सारी
जो तुम कहते हो प्रियतम
मिले हुए हो फिर भी ढूँढूँ
ये कैसा हुआ मिल्न प्रियतम
मेरे हो सदा मेरे ही रहना
मुझमें करो रमण प्रियतम
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