आनन्द मगन

रहें सदा आनन्दमग्न प्रियतम यही सदा चाह करूँ
प्रियतम ही हों जीवन मेरा नहीं जग की कुछ परवाह करूँ
सदा सदा रहूँ प्रियतम संग अपने सदा रहूँ उन्हें रिझाती मैं
प्रियतम मेरे रहें आनन्दित तभी आनन्द हृदय पाती मैं
रहे न कोई शेष कामना प्रियतम सुख ही बने मेरा जीवन
प्रियतम प्रियतम रटूं सदा मैं प्रियतम मेरा तन मन धन
सकल पदार्थ अर्पण करदूं सदा प्रियतम आनन्द चाहूँ मैं
प्रियतम रहें मेरे हृदय भीतर प्रियतम प्रियतम ही गाऊँ मैं
मुझमें और मेरे प्रियतम में ना दूरी कभी कोई शेष रहे
प्रियतम चरणों में रहूँ समर्पित बस प्रियतम प्रेम विशेष रहे
मेरे प्रियतम रहें मन भीतर कभी न हो मुझे उनका वियोग
प्रियतम प्रियतम रटूँ मैं बाँवरी प्रियतम नाम का साधूँ जोग
तजो ना कभी मुझे प्रियतम तुम बिन कैसा हो ये जीवन
तुम ही श्वास श्वास में हो तुम मम जीवन प्रियतम प्राणधन

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