सखी री मेरे पिया

सखी री मेरो पिया बसे बिदेस
कोऊ तो जावो लेय आवो आवन को संदेस
बिरहन की कबहुँ सुधि लीजो प्राण न राखे सेस
नित नित जावे एहो मांगे वर वन्दे गौरी महेस
कौन घड़ी पिय मेरो घर आवे आवे घड़ी विसेस
मन के ताप दूर कबहुँ होवै काटे विरह कलेस

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