18

जय जय श्यामाश्याम

वंशिका 18

    आज श्यामा जू बहुत आनन्दित हैँ। आहा! पिया बाँवरी श्यामा दौड़ती हुई बाहर उपवन में चली आई है। आज तो श्यामसुन्दर की प्रतीक्षा में व्याकुल न हुई। जैसे ही सखियों ने प्रिया जू का श्रृंगार आरम्भ किया ये उन्मादिनी हुई जाती है। सखियों के मुख से श्यामसुन्दर का नाम सुन सुन हंस रही है इसके गुलाबी कपोल लाज से और गुलाबी रंगत लिए जा रहे हैँ। सखियों की और देख देख मुस्कुरा रही है। कनखियों से उनकी और देखती है फिर आँखों पर हाथ रख हंसने लग जाती है। आज प्रिया जू अत्यधिक सुंदर लग रही है। यूँ तो श्री प्रिया सौंदर्य का ही मूर्तिमान रूप है परन्तु विरह के बादल और अश्रु वृष्टि इनके मुख को श्यामल बना देती है। मिल्न की उत्कंठा में बाँवरी हुई श्री प्रिया का सौंदर्य आज फूट फूट कर निखर रहा है। मुख की प्रसन्नता से सौंदर्य राशि अपरिमित हुई जा रही है। सखियाँ पुनः पुनः बलिहार लेती हैँ। आज तो उनकी श्री प्रिया की माधुरी ऐसे बिखर रही है। हाय!श्यामसुन्दर के हृदय कमल पर आज इस माधुरी का मधुर प्रहार होने वाला है। सखियाँ अपनी प्रिया जू पर पुनः पुनः बलिहार जाती हैँ।

   श्यामा जू दौड़कर उपवन में आ जाती है और भाव विभोर हुई गीत गाने लगती है।

सखी !
आज श्याम मोरी बैयाँ मरोरी
करे नितनित मोते बरजोरी
छीन लीन्हीं मेरी दहीं मटकिया
हाय सखी नटखट ने फोरी

घड़ी घड़ी सखी राह मेरो रोके
कहाँ चली हाय सखी मोहे टोके
  बैरी तीर अखियों से चलाए
  कर गयो मेरे मन की चोरी
  सखी !.........

फोड़ दीन्हीं सखी मेरी मटकिया
  दूंगी नहीं जा तेरी बाँसुरिया
  लगे तू चोर ठगन को राजा
  नीयत ठीक लगे नहीं तोरी
  सखी ............

मैया को अब मैं दूंगी उलाहना
आज मोहे नन्द भवन को जाना
कह दूंगी लम्पट तेरो कन्हाई
राह चले ते करे नित बरजोरी
सखी !
आज श्याम मोरी बैयाँ मरोरी
करे नितनित मोते बरजोरी
छीन लीन्हीं मेरी दहीं मटकिया
हाय सखी नटखट ने फोरी
सखी .........

   सभी सखियाँ प्रिया जू को प्रसन्न देख अपने वाद्य यन्त्र ले आती हैँ और बजाना आरम्भ करती हैँ। सभी श्री प्रिया के संग ताल मिला गाने लगती है। कोई कोई सखी नृत्य करने लगती है। तभी श्यामसुन्दर वहां प्रवेश करते हैँ तथा श्री प्रिया और सखियों को देख उनके हृदय में भी आनन्द हिलोरे लेने लगता है। वह भी अपनी बांसुरी बजाना आरम्भ करते हैँ। ये ध्वनि तो हर हृदय में प्रेम लालसा को और बढ़ा देती है। श्यामसुन्दर स्वयम् को रोक नहीं पाते और श्यामा संग नृत्य आरम्भ कर देते। प्रेम में उन्मत हुए युगल नृत्य कर रहें हैँ। चहुँ ओर प्रेम रस की वृष्टि हो रही है। अपने युगल को आनन्दित देख कोयल भी कूकने लगी मयूर भी नृत्य करने लगे। श्यामा जू की नुपुर का एक एक घुंघरू उन्मादित हो रहा है। कंगन खनखन कर रहे हैँ। ऐसी अपूर्व शोभा वर्णन कैसे होगी।

नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

कल कल करती कालिंदी के तट की
शोभा साजे सखी अति मनोहारी
नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

नाचत मयूरा संग युगल वर
सखियाँ जाएँ इनपर बलिहारी
नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

शोभा अतुलनीय बरण ना होवे
मुदित विराजें सखी पिय प्यारी
नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

नित नित उमंग तरंग प्रेम को
झूम रहे संग ललित सुकुमारी
नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

पायल की रुनझुन गूँजे चहुं और
अद्भुत छवि जावे ना बिसारी
नाचत राधिका संग गिरधारी
युगल छवि लगे अति ही प्यारी

             उपवन के निकट ही कालिंदी भी कल कल करती हुई बह रही है। अपने युगल के प्रेम में उन्मादित हुई कल कल करती हुई बहने लगती है। आज जिसे ये भी उन्मादित हुई युगल नृत्य में अपना सहयोग दे रही है और वंशिका भी तो अपने श्यामाश्याम के प्रेम रस में भीग रही है।

   क्रमशः

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