बना लो बाँसुरिया
बना लो मुझे अपनी बाँसुरिया
हो दिन रैन साथ तेरे
मेरे जीवन की डोर अब कन्हैया
है अब हाथ तेरे
तेरे ही सहारे अब मेरा जीवन
तेरा नाम भूलूँ ना कभी कन्हाई
जैसे चाहो रखलो इच्छा तुम्हारी
तू ही तो चाहे मेरी ही भलाई
सब कुछ छोड़ दिया अब हाथ तेरे
बना लो.......
मुझको शरण में रखो गिरधारी
कोई सेवा दीजो ऐसी मेरी भावना
रहे ना आसक्ति झूठे जगत की
मन में रहे ना कोई विषय कामना
हर पल सिमरण हो अब नाथ मेरे
बना लो.......
कोई नही साधन जिससे रिझाऊं
नहीँ मेरी वाणी कुछ भाव सुनाऊँ
बिन बोले ही सब मन की जानते
क्या मैं मुख से बोल सुनाऊँ
तेरी ही सेवा में जुड़ें हाथ मेरे
बना लो.........
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