हम अपने जख्म
हम अपने जख़्म हंसी में छिपा लेते हैँ
उठता है दर्द तो दुनिया को हंसा लेते हैँ
किसको जाकर बताएं कितना दर्द दिल में
हम अपने दर्द को जहन से हटा लेते हैँ
हम अपने जख्म.....
तेरे बिन क्या है बता दुनिया में बाक़ी मेरा
हम ये अफ़साने बस यूँ ही बना लेते हैँ
हम अपने जख्म.....
न होना कभी रुस्वा मेरी जान मुझसे
तुम कभी रूठ भी जाओ हम मना लेते हैँ
हम अपने जख्म.....
मेरी दुनिया हो तुम तुमसे ही जिंदगी मेरी
झूठी सी दुनिया से क्यों दिल को बहला लेते है
हम अपने जख्म.....
कोई न सुनता यहां दर्द के किस्से साहिब
खामोश रहकर अब तुमको सुना लेते हैं
हम अपने जख्म.....
हमको खामोश ही करदो कोई आवाज़ न हो
हम खुद को तेरे आगोश में छिपा लेते हैँ
हम अपने जख़्म हंसी में छिपा लेते हैँ
उठता है दर्द तो दुनिया को हंसा लेते हैँ
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