मेरे हर दर्द

मेरे हर दर्द की दवा तुम हो
मिलकर भी क्यों जुदा तुम हो

हो हसरत मेरी ख्वाहिश मेरी
दिल से उठती हर सदा तुम हो
मेरे हर दर्द की .....

हंसी बन खेलते लबों पर मेरे
आँखों से बहते अश्क़ का कतरा तुम हो
मेरे हर दर्द की ......

हर लफ्ज़ हो तुम हर गीत मेरा
हर शाम मेरी हर सुबह तुम हो
मेरे हर दर्द की......

तुमसे ही शुरू तुम से ही मुकम्मल
ज़िन्दगी की किताब का हर सफा तुम हो
मेरे हर दर्द की ......

इस दिल में उठती हर बेचैनी तुम हो
छूकर जो राहत दे वो हवा तुम हो
मेरे हर दर्द की ......

घुल गए हो तुम मुझमे कुछ इस कदर
जिस्म में बहते लहू का हर कतरा तुम हो
मेरे हर दर्द की .....

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