तुम्हें भुलाने की
तुमको भुलाने की सभी कोशिशें नाकाम हुई
देख तेरे इश्क़ में आज फिर मैं बदनाम हुई
तुमको भुलाने की ....
तेरे इंतज़ार में मुद्दत से दिल बिछाया है
यूँ ही बैठे हैँ कब सुबह तो कब शाम हुई
तुमको भुलाने की ....
तेरे नाम से ही सब पहचानते हैं सब मुझको
रूह तेरे इश्क़ में कुछ यूँ नीलाम हुई
तुमको भुलाने की ....
गम नहीं अब जमाना क्या कहता मुझे
मेरी रुस्वाई तो अब यूँ ही सरेआम हुई
तुमको भुलाने की ....
तेरे ही रहना है मुझको किसी से क्या लेना
तू जो चाहे वही मन्जूर मैं तेरी गुलाम हुई
तुमको भुलाने की ....
तुमको भुलाने की सभी कोशिशें नाकाम हुई
देख तेरे इश्क़ में आज फिर मैं बदनाम हुई
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