सखी री कौन विधि
सखी री कौन विधि पिय सों मिलना होय
पिय पिय दिन रैन रटे बाँवरी नैना बहत रहे दोय
विरहन की अबहुँ सुधि लीजो देह प्राण नाँहि राखे कोय
दृग नीर ते भीझत रह्यो बाँवरी रहे नैन भिगोय
नैनन ते कबहुँ पिय मुख देखूँ हिय कबहुँ आन समोय
बिरहन दृग जल वारी पुनः पुनः माला रही पिरोय
Comments
Post a Comment