लोग पूछते

लोग पूछते हैँ मेरे खुश होने की वजह
सबसे छिपा रखा है वजह तुम जो हो

हमको तो इश्क़ करना आया न कभी
तुमको सोचा तो सोचते ही रह गए

मुद्दत से इस रूह को कोई तलाश थी
तेरा नाम आते ही क्यों धड़कन रुक गयी

अब पता चला इश्क़ की बेखुदी क्या होती है
मुद्दत से लगता है मैं कहीं गुम हूँ

अब न भिगोना मुझे ओ बारिश की बूंदों
तन्हाई में अश्कों की बरसातें की हैँ मैंने

तेरे आगोश में एक भी अश्क़ न निकले
तुमको न बतानी कोई दर्द की वजह अपनी

हो तुम साथ तो तुम ही रहो न कुछ यूँ
अकेले में मुस्कुराती रहूँ और दुनिया को खबर न हो

आईना भी देख शरमा रही हूँ कबसे
ये भी साहिब तेरे इश्क़ की खुमारी है

अब क्या लिखूं तुम्हारा फ़साना ए इश्क़
जब दिल में भी तुम हो और लफ़्ज़ों में भी तुम

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