सखी री कौन देस
सखी री कौन देस गए सजना
तड़पत रहूँ जल बिन मीन समाना सूना मोरा अँगना
साज सिंगार मोहे नाँहि सुहावत खनकाऊं नाँहि कँगना
और कोऊ रंग चढे ना साँवरे मोहे तेरोे ही रंग रँगना
चाव रह्यो हिय माँहि मिल्न को और कोऊ रह्यो उमंग ना
श्याम पिया विलम्ब कियो अति भारी प्राण रहें देह संग ना
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