नाम रस

नाम को रस चाखुं कैसो विषयन को रस भावै
ज्यूँ मूर्ख कोई छांड खांड को नौन को स्वाद पावै
भिक्षा दीजौ नाम अपने की दासी भिक्षा चाह्वै
एकहु आस तेरो किशोरी और ना हिय माँहि आवै
ऐसो कृपा करो अबहुँ श्यामा मुख ते नाम ना जावै
बिसरे जगत सकल चाहे हिय सों श्यामाश्याम रहि जावै

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