पिय सों पाती
पिय सों भेजूँ सखी पाती नैनन नीर ही स्याही करूँ
बिन प्रियतम क्षण क्षण अकुलाउँ कैसो सखी मैं धीर धरूँ
पिय बिन कैसे जियूँ क्षण क्षण विरह अग्न ही जरूँ
बाँवरी होय रहूँ कछु ना सुहावै मुख ते तेरो नाम धरूँ
पिय पिय रटू पिय प्राण मेरो जल बिन मीन जैसो मरूँ
कितने बरस पिय बिन बीते बिरहन अकुलाय कबहुँ पिय वरूँ
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