दिल का दर्द

दिल का ये दर्द है जो लफ़्ज़ों में बहता है
खामोश है जुबान जाने कौन कलम से कहता है

अश्क़ बहते हैँ दिन रात आँखों से
कुछ यूँ नशा ही तेरे इश्क़ का रहता है
दिल का ये दर्द है .......

ख़ामोशी की भी कोई जुबान होती है
कोई सुनता है जाने कैसे कोई कहता है
दिल का ये दर्द है .......

ढूंढती है क्यों रात दिन मेरी नज़र तुमको
लगता है तू मेरे आसपास रहता है
दिल का ये दर्द है .......

दिल मर चुका है अब मेरा हाल क्या पूछते हो
नाज़ुक सा था कहाँ इतने दर्द सहता है
दिल का ये दर्द है .......

किसी न किसी दिन सामने मेरे तुम आओगे
जाने क्यों चेहरे पर तेरे नकाब रहता है
दिल का ये दर्द है .......

हम पहचानते हैँ तुम कैसे भी छिप न पाओगे
दिल पहचानता है बस तू है तू है कहता है
दिल का ये दर्द है .......

दिल का ये दर्द है जो लफ़्ज़ों में बहता है
खामोश है जुबान जाने कौन कलम से कहता है

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