तेरा इंतज़ार
तेरा इंतज़ार करती हैँ पल पल मेरी आँखें
मेरे महबूब इन आँखों की नमी कम न हो
तुझसे न मिलने का गम जी जला दे मुझको
तेरे इस गम का सिवा मुझको कोई गम न हो
तड़प देना कुछ ऐसी जो रोज़ बढ़ती रहे
आज कुछ और आज कुछ और कभी कम न हो
तेरे कूचे पर आ गए सब चाहने वाले तेरे
देख लेना कभी इक नज़र शायद हम न हों
अभी तो बहतें हैं अश्क़ मेरे दिल के लहू से
क्या पता आज दम है कल ये दम न हो
भर चुकी है रूह मेरी दर्द और जख्मों से
तेरे इश्क़ का दर्द रहे और कोई जख्म न हो
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