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जय जय श्यामाश्याम

वंशिका 24

  युगल अति आनन्दमग्न हैँ। सभी सखियाँ उनको चारो ओर से घेरे हुए उपवन में बैठी हैँ। संध्या का समय होने को है,आकाश अपनी लाली समेटने की तयारी में है। मन्द मन्द समीर प्रवाहित हो रही है। जड़ चेतन सभी युगल के आनन्द से आनन्दित हो उनके प्रेमरस वर्धन की चेष्ठा कर रहे हैँ। सभी सखियों के मन में युगल द्वारा गीत गायन की अभिलाषा जागती है।

  ललिता जू कहने लगती है श्यामसुन्दर चलो हमारी प्यारी जू के लिए गीत सुनाइए। श्यामसुन्दर मुस्कुराने लगते हैँ। स्वीकृति ही मानिये परन्तु पहले प्यारी जू से पूछिये ये सुनेंगी भी। ललिता जू कहने लगती है हाँ हाँ श्यामसुन्दर ये सुनेंगी भी और सुनाएंगी भी। श्यामसुन्दर कहने लगते हैँ पहले प्यारी जू ही कुछ सुना दें । इनकी मधुर वाणी मेरे हृदय में उतरेगी तभी मेरी वाणी से कुछ उच्चारण होगा। सभी सखियाँ इनको देख आनन्दमग्न होने लगती हैँ। पहले प्रिया जू को सभी सुनाने को कहती हैँ।

सखी श्याम पिया मैं पाई हो
सतरंगी सी चुनर म्हारी श्याम रंग रंगाई हो
सखी श्याम पिया मैं पाई हो

जाके हिय प्रेम नाँहि परसे क्या जाने पीर पराई हो
सखी श्याम पिया मैं पाई हो

प्रीत वारो धन साँचो पायो बिन पिय विरथा जन्म गमाई हो
सखी श्याम पिया मैं पाई हो

बलिहारी मै अपने पिया जिन हिय मोहे आन लगाई हो
सखी श्याम पिया मैं पाई हो

अंग संग रहूँ मैं अपने ही पिय के पिय में आप समाई हो
सखी श्याम पिया मैं पाई हो

प्रियतम ऐसो नेह लगायो सुधि दीन्हीं बिसराई हो
सखी श्याम पिया मैं पाई हो

प्रियतम मेरो लागे नीको मैं बलिहारी जाई हो
सखी श्याम पिया मैं पाई हो

श्याम श्याम रटूं दिन रैन सखी मोहे बाँवरी बनाई हो
सखी श्याम पिया मैं पाई हो

श्याम नाम ही मेरो धन सखी श्याम नाम मैं गाई हो
सखी श्याम पिया मैं पाई हो

श्याम माँहि रमुँ रैन दिन सखी री जग सों हुई पराई हो
सखी श्याम पिया मैं पाई हो

सभी श्यामा जू का गायन सुन अति आनन्दित होते हैँ। अभी श्यामसुन्दर के गायन की बारी आती है। श्यामसुन्दर गाना आरम्भ करते हैँ

मोरी बंसी दे डारो
श्यामा
मोरी बंसी दे डारो

बलि बलि जाऊँ या बंसी ते नित तेरो नाम उचारो
श्यामा
मोरी बंसी दे डारो

विरह व्यथा मेरो हर लीन्हो मोहे नाम सुनावे प्यारो
श्यामा
मोरी बंसी दे डारो

बाँवरी गावे नाम तेरो राधा नित जावे बलिहारो
श्यामा
मोरी बंसी दे डारो

श्यामा ये पद सुनकर भाव विभोर जो जाती है और उन्हें देख श्यामसुन्दर का आनन्द बढ़ता है । सभी सखियाँ और बंसी युगल के आनन्द से आनन्दित हैँ।

क्रमशः

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