बड़ी मुश्किल से
बड़ी मुश्किल से सम्भला है दिल ए बेताब
आज तू इश्क़ की हवाओं का रुख न दिखा
सबने तो इबादत की मैंने सोचा इश्क़ करूँ
सलीका न आया मुझे अब तलक कोई भी
फिर से छोड़ा है बेकरारी में तुमने
आरजू ए दिल कब पूरी हुई हमारी
प्यासी सी आँखें तुम्हें पीने को बेताब हैँ
और तुमने चिल्मनों की आदत नहीं छोड़ी अभी
इन बेताब सी धड़कनों का क्या करूँ
तेरा नाम ले लेकर छेड़ती हैँ मुझे
देखो फिर मुझको इलज़ाम न देना
तुम हवाओं सा मुझे छुआ न करो
ये जो बेताब सी कर रही हैँ धड़कनें मुझे
ये फैसला करदे ये मेरी हैँ या तेरी
देखो बहकना सीखा है मैंने भी तुम्हीं से
तुम सा इश्क़ और करता भी कौन है
लफ़्ज़ों से आज कुछ उतरे हैं तराने
दिल की धड़कनों को फिर से छेड़ा है तुमने
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