पीड़ मुका जा

कोई जप ना कोई तप ना

कोई भगती नियम ना मेरे

बस इक अंखियां दे हंजू

मिले इश्क़ विच ही तेरे

प्रीत लगाई ते होइ दीवानी

सारे जग तोँ फिराँ बेगानी

मारां दीवारां दे विच सिर वे

देख मेरी आके तू पीड़ वे

तैनू वी होंदी होणी सजणा

अखियाँ ने दीदार तोँ रजणा

बस हुण मेरी पीड़ मुका जा

आजा श्यामा हुण ता आजा

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून