तेरा इश्क़ मेरी सज़ा बन न जाये
तेरा इश्क़ मेरी सज़ा बन न जाए
मेरी मौत की वजह बन ना जाए
जिस्मों से परे है रूहों की चाहत
रहम करना है पर तेरी आदत
तेरी चाहतों का मुझे है अंदाज़ा
यही चाहतें पर अदा बन न जाएं
तेरा इश्क़ मेरी सज़ा बन ना जाए
मेरी मौत की.......
जल रही रूह को थोडा सुकून हो
तेरा नाम लेना ही मेरा जूनून हो
अब बस मुझको है फनाह होना
मगर ये दिल पर सितम बन ना जाए
तेरा इश्क़ मेरी सज़ा बन न जाए
मेरी मौत की..........
मेरा जो था वो सब तेरे हवाले
मेरा कुछ नही सब तू ही सम्भाले
तेरी चाहतों में तेरी हो चुकी हूँ
मेरा यार अब बेवफा बन न जाए
तेरा इश्क़ मेरी सज़ा बन न जाए
मेरी मौत की.........
Comments
Post a Comment