निर्बल को बल तुम्ही श्याम
निर्बल को बल तुम्ही श्याम
ये जीवन अब तेरे नाम
हर लो दीन जनन की पीड़ा
भक्ति मिले तेरी निश्काम
जप न तप न कोई साधना
न जानू तेरी कोई अराधना
भिक्षा दो बस प्रेम की अपने
रख लो हरि चरणन छाँव
निर्बल को बल तुम्ही श्याम
कितने जन्मों से हूँ प्यासी
तेरी प्रीतम प्रेम पिपासी
अब तो रख लो अपनी दासी
चरणों में ही मिले विराम
निर्बल को बल तुम्ही श्याम
अवगुण भरी हूँ मैं गुणहीना
साधना भक्ति प्रेम विहीना
दे दो अपना प्रेम नवीना
वास् मिले मुझे तेरे धाम
निर्बल को बल तुम्ही श्याम
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