क्यों आते हो जाते हो

क्यों आते हो जाते हो
हमेशा क्यों नहीँ रहते
तुम्हें भी इश्क़ है मुझसे
जुबाँ से क्यों नहीँ कहते

क्यों रखते हो परदे मुझे
ये अच्छा नही मेरे साहिब
अब आओ लौट मत जाना
अरमां मेरे अब यही कहते

मुझे एहसास होता है
तेरे हल्के से छूने का
मेरी रूह कांप जाती है
अश्क़ फिर यूँ नही बहते

जिन्दा हूँ जो तेरा एहसास है
तू दूर होकर भी मेरे पास है
आ सुन लूँ धड़कनें तेरी
नहीँ अच्छा दूर यूँ रहते

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