मुसाफिर हूँ
मुसाफिर हूँ इस दुनिया में कहीँ और ठिकाना मेरा
तुम मेरा इंतज़ार करना होगा कभी आना मेरा
ना जाने क्यों बेगाने हो गए हैँ खुद से
तुझको पाने की उम्मीद कर रहे थे जिद से
अब मेरा इश्क़ ही तेरे कदमों में नज़राना मेरा
तुम मेरा इंतज़ार करना......
तेरी वफाओं का भरोसा है साहिब मेरे
देर हो सकती है अंधेर नही घर में तेरे
बस अब मोहबतें ही बनीं हैं फ़साना मेरा
तुम मेरा इंतज़ार करना......
दिल की गहराईओं में अब तुम ही रहते हो
मेरी ही सुनते हो मुझको अपनी ही कहते हो
अब तो दिल हो ही गया ऐसा दीवाना तेरा
तुम मेरा इंतज़ार करना........
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