क्यों ऐसे देखते हो

क्यों ऐसे देखते हो सबको यूँ शहनशाह
तेरी यही अदा है प्यारे मेरे मर्ज़ की दवा

ऐसे देखना तेरा घायल कर रहा है
मुझको सब्र नहीँ है पागल कर रहा है
मदहोश कर रही है मुझको तेरी वफ़ा
तेरी यही अदा है प्यारे मेरे मर्ज की दवा
क्यों ऐसे देखते हो......

तीखी तेरी नज़र ने किये मुझपे वार प्यारे
लाखों ही लुट गए हैं बैठे दिलों को हारे
मीठी सी लग रही है हर इश्क़ की सज़ा
तेरी यही अदा है प्यारे मेरे मर्ज़ की दवा
क्यों ऐसे देखते हो......

नज़रें मिला के तुझसे बेकार हो गए हैं
मर्ज़ ये मिल गया है बीमार हो गए हैं
अब हम कहां को जाएं साहिब तू ही बता
तेरी यही अदा है प्यारे मेरे मर्ज़ की दवा
क्यों ऐसे देखते हो........

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