अश्क़ भी इश्क़ के पैगाम

ये अश्क़ भी तेरे इश्क़ का इनाम होता है
इसमें भी यार का ही पैगाम होता है

अभी आ रहा हूँ अश्क़ बनके आँख में तेरी
यूँ तो हर लम्हा ही तेरे नाम होता है

समेट लेती हूँ सब अश्कों को अब कान्हा
की हर अश्क़ में तेरा नाम होता है

ये भी तेरे मिलने की उम्मीद जगा देते हैं
वरना तेरा एहसास कहां आम होता है

तड़प उठती है जब रूह प्यास तेरी में
मेरे हाथों में फिर तेरा जाम होता है

पी पी कर मदहोश हुए जाते हैं हम
फिर तो लबों पे तेरा ही नाम होता है

नाम तेरा ही तेरे आने का एहसास है
अश्कों से ये सिलसिला मुकाम होता है

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