पुकारा है बहुत तुमको
बहुत पुकारा है तुमको
सुने भी हो या नहीँ
अब खामोश ही रहना है
सुना है ख़ामोशी भी सुनते हो
सच होगा ये भी क्योंकि
तुम्हारी हर बात सच होती है
क्या इश्क़ है तुम्हें मुझसे
तो ये भी सच होगा
यूँ तो हर चीज़ में नज़र आते हो
पर नज़र में क्यों नही हो
क्यों ढूंढते हैँ नज़र से तुम्हें
सुना है दिलों में रहते हो तुम
दिल में हो तो नज़र में क्यों नहीँ
तुम्हें देखे बिना दिल मानता नहीँ
इक तेरे सिवा किसी को जानता नहीँ
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