माधो प्रेम कर सुख पाया
माधो!प्रेम कर सुख पाया |
मन अंतर में तुझे बिठाया ||
निरख निरख सुख पाया |
माधो!प्रेम कर सुख पाया ||
राग द्वेष संताप मन उतरा |
परम् परम् सुख आया ||
चिंतन में हरि आप लगाया |
मन वैराग समाया ||
माधो !प्रेम कर सुख पाया |
पीड़ गयी मेरे मन दुखियन की |
साध संगत मिल लाया ||
नित नित जाप किया जब तेरा |
मन अंतर हर्षाया ||
माधो !प्रेम कर सुख पाया |
ढून्ढ रही मेरी बाँवरी अखियाँ।
माधव कहां समाया ||
तेरे जी प्रकाश में साहिबा ।
भीतर दर्शन पाया ||
माधो! प्रेम कर सुख पाया |
Comments
Post a Comment