लबों पे जिक्र तेरा
मेरी ज़िन्दगी का हर लम्हा अब तेरे नाम है
लबों पे जिक्र तेरा ही अब सुबह शाम है
मैंने तेरे नाम करदी हर साँस अपनी प्यारे
तेरे इश्क़ में ही जीना अब मेरा काम प्यारे
अब मेरी रूह कान्हा तेरी ही गुलाम है
लबों पे जिक्र तेरा.......
तूने भी मुझे दिया है सिला अपनी मोहबतों का
कैसे बयां करूँ मैं मिली तेरी रहमतों का
तेरे इश्क़ में बिखर रहीं मेरी सांसें तमाम हैं
लबों पे जिक्र तेरा.......
अब होश में नहीँ हूँ तूने मदहोश कर दिया है
ऐसी मुझे पिला दी अब बेहोश कर दिया है
मेरे हाथ में अब मोहन बस तेरा ही जाम है
लबों पे जिक्र प्यारे........
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