कितना चाहते हो

कितना चाहते हो मुझको इस एहसास को जी रही हूँ
अब जीवन जहर लगे है रोज़ रोज़ पी रही हूँ

तेरे बिना नहीँ जीना फिर भी तेरी चाहत से जिन्दा हूँ
लाख गुनाह हुए हैं मुझसे इनसे बहुत शर्मिंदा हूँ

तूने फिर भी कबूल किया ये तेरी इनायतें हैं
तुझसे हसीन भी प्यारे तेरी अब मोहबतें हैँ

आगोश में लो मुझे अब धड़कनें महसूस हों तेरी
तेरे दीदार हो प्यासी रूह तड़प रही मेरी

अब तो तेरा मिलना ही मेरा मुकाम हो
निकल रही साँस साँस प्यारे तेरे नाम हो

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून