तुम्हे चाहने की मिली सजाएं
तुम्हें चाहने की मिली हैं सजाएं
बोलो तुम्हें कैसे दिल से भुलाएं
दुनिया ने मुझको बेगाना किया है
इश्क़ तेरे ने दीवाना किया है
हर अश्क़ में मैंने जब तुमको पाया
बोलो फिर क्यों ना अश्क़ बहायें
तुम्हें चाहने की मिली हैं सजाएं
बोलो तुम्हें .......
मेरी हंसी में समाये हो तुम
मुझमें दबे पावँ चले आये तुम
बाहर ढूंढ ढूंढ जब तुमको हारी
भीतर से ही तेरी पायी सदायें
तुम्हें चाहने की मिली हैं सजाएं
बोलो तुम्हें.........
कोई बोले काफिर कोई दिखावा
तेरा इश्क़ सच्चा ये दुनिया भुलावा
तेरा इश्क़ मेरे जीने की वजह है
बोलो क्या यूँ जीना ही छोड़ जाएँ
तुम्हें चाहने की मिली हैं सजाएं
बोलो तुम्हें ........
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