रूह प्यासी है
रूह प्यासी है दीदार को तेरे
तरस रही है प्यार को तेरे
अब तुम जरा परदा हटाओ
मैं भी देखूँ रुखसार को तेरे
तड़प लगी है क्यों मिलने की
चैन आता नहीँ दिल को एकबार मेरे
हटा दो ये गमों के काले बादल
मुझको दो जिंदगी के नयें सवेरे
लग रहा है की आ रहे हो तुम
लहराती हुई इन जुल्फों को बिखेरे
जाने कब से पुकार रही हूँ तुम्हें
हो चुकी तेरी तुम हो चुके मेरे
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