रूह को तेरी प्यास है

ढूंढती हूँ तुम्हें
कहां हो तुम
फिर महसूस करती हूँ
हर जगह तुम्हें ही
पत्ते पत्ते में
फूल फूल में
हवाओं में
फिज़ाओं में
फिर खुद में ही
महसूस करती हूँ
क्या ये सच है
ये क्या हुआ है
क्या ऐसा होता है
या मर्ज़ है इश्क़ का
कैसे समझूँ मैं
कैसे जानू मैं
कभी मैं हूँ
कभी नहीँ हूँ
कभी तुम हो
सभी तुम हो
उलझनें क्यों है
चिलमने क्यों हैँ
दिल को उम्मीद हो
अब तेरी दीद हो
आज मन उदास है
रूह को तेरी प्यास है

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