मेरी इबादत

मेरी इबादत हो तुम मेरी चाहत हो तुम
दिल पर खाये हर सितम से मिली राहत हो तुम

तुम ही ज़िन्दगी मेरी तुम ही हमसफ़र मेरे
है सफ़र ये ज़िन्दगी तो मेरी मन्ज़िल हो तुम
मेरी इबादत........

तेरे ही नूर से रोशन है कायनात मेरी
दिल को मिलते हर ख़ौफ़ से हिफाज़त हो तुम
मेरी इबादत........

तुम बस रहे हो अब हर धड़कन में मेरी
मुझमें ऐसे मिले के अब मेरी आदत हो तुम
मेरी इबादत.........

जिसको गा लूँ तुम वो नगमा हो बने
बस जाऊं अब जिसमें वही जन्नत हो तुम
मेरी इबादत.......

कभी शामिल थे तुम अश्कों में मेरे
अब बिखरती हुई होंठों की मुस्कुराहट हो तुम
मेरी इबादत........

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