हमारी बात

मैं बोली

कहो साहिब क्या काम मेरा
इश्क़ में क्या करवाना है

वो बोले

तेरा अब काम एक ही है
खुद तड़पना औरों को तड़पाना है

मैं बोली

ये तो काम हैं तेरे ही
मुझसे ही क्यों कराना है

वो बोले

तू भी तो कबसे मेरी है
तुझी से ही सुनवाना है

मैं बोली

तुम हो बड़े झूठे
अब नहीं तुमको चाहना है

वो बोले

माना की मैं बड़ा झूठा
क्यों तूने सच्चा माना है

मैं बोली

छोड़ दो मुझको
मुझे वापिस अब जाना है

वो बोले

तू आई अपनी मर्ज़ी से
मेरी मर्ज़ी से जाना है

मैं बोली

क्यों छुपते हो तुम मुझसे
नया अब क्या बहाना है

वो बोले

सब्र रख थोडा अभी तू इश्क़ कर मुझसे
मुझे भी देखना सब है थोड़ी फुर्सत से आना है

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