मुझे लगता है मनमोहन
मुझे लगता है मनमोहन तुम्हें मुझसे प्यार नहीं
जो प्यार किया होता तो क्यों इकरार नहीं
हाय मुझको जलाते हो तुम कितना रुलाते हो
यही दर्द अब इतना है मुझसे दरकार नहीं
मुझके लगता है मनमोहन.......
नहीं काबिल हूँ प्यारे तो तुम ही बना दो ना
क्यों हटाते नहीं पर्दे तुम देते दीदार नहीं
मुझे लगता है मनमोहन.......
जो चाहते हो तुम कान्हा सब है मंजूर मुझे
पर तुझसे मिले बिन हाय मुझको करार नहीं
मुझे लगता है मनमोहन......
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