कौन हूँ मैं

कौन हूँ मैं???

क्यों आना हुआ???

क्या देखा मैंने???

एक बीज को पनपते
वृक्ष बनते
फूल लगते
फल लगते
फल लुटाते
गिरते हुए पत्ते
सूखते हुए
गिरते हुए
उजड़ते हुए
मिटते हुए
फिर बीज रूप में पनपते

ये क्यों हुआ??

मैं कौन हूँ??

मैं दर्शक हूँ

आया
देखा
गया
उनसे आया.....
उनमें ही गया.....
उनका ही रूप....
उनका ही खिलौना....
दर्शक बनकर...
मैं दर्शक हूँ

मैं चेतना हूँ

मैं आत्मा हूँ।

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