हम मोहबत में तेरी
तेरी मोहबत में फनाह हो जायेंगे
कभी तेरे लबों की दुआ हो जायेंगे
अश्क़ निकले मेरे महबूब की आँखों से गवारा ही नहीँ
तेरे दीदार के बिन सिसकना है और गुज़ारा ही नहीँ
हम में कोई अक्स है अगर बाक़ी तो हमारा ही नहीं
हम तो इश्क़ की इब्तदा हो जायेंगे
कभी तेरे लबों की दुआ हो जायेंगे
हम मोहबत में तेरी......
दौर ए उल्फ़त है मुश्किल पर जाना ही होगा
कर चुके दिलों का जो सौदा तो निभाना होगा
सुन मेरी रूह की पुकारें तुझे आना होगा
हम तेरे जीना की वजह हो जायेंगे
कभी तेरे लबों की दुआ हो जायेंगे
हम मोहबत में तेरी......
परदों में छिपना तेरा कब तक होगा मुमकिन
इश्क़ मेरा आग ही है बढ़ रहा है हरदिन
बिना दीदार किये तेरा मेरा जीना है नामुमकिन
तुझे चाहते हम तेरी तरह हो जायेंगे
कभी तेरे लबों की दुआ हो जायेंगे
हम मोहबत में तेरी.......
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