राज़ी तेरी रज़ा विच
मैं तेरी रज़ा विच रहणा
तू जिवें चाहें रख़ सजणा
कुझ मुँहों नहीँ मैं कहणा
तू जिवें चाहें रख सजणा
तेरे नालों चंगी तेरी याद बस श्यामा वे
क्यों करां हर वाले आण दा उल्हामा वे
तैनू इक दिन आणा ही पैणा
तू जिवें चाहे रख सजणा
मैं तेरी......
गम दवें ख़ुशी दवें चाहे सब मंजूर वे
हस हस मन्न लेणा प्यार दा दस्तूर वे
तैनू माडा किवें दस् कहणा
तू जिवें चाहे रख सजणा
मैं तेरी.......
इक गल्ल दस् दे क्यों मेरे कोलों दूर वे
मैं केहड़े जुर्म किते मेरा की कसूर वे
जो देंगा सज़ा मन्न लेणा
तू जिवें चाहे रख सजणा
मैं तेरी.....
Comments
Post a Comment