कृपा करो कान्हा जी
कृपा करो कान्हा जी अधम दासी हूं
जन्मों से बैठी हाय प्रेम प्यासी हूं
पूजा ना जप तप कोई विधि जानू ना
मेरे केवल मोहना तुम और कोई मानू ना
पड़ी शरण में अब प्रेम पिपासी हूँ
कृपा करो कान्हा जी......
भक्ति न साधन योग और ज्ञान ना
मेरे पतित कर्मों का कोई अभिमान ना
चरणों की धूल मिले निरासी हूँ
कृपा करो कान्हा जी......
निर्धन के धन हो निर्बल के बल ही
बोना और पाना सब कर्मों का फल ही
शरण रखो अब तुम्हारी दासी हूँ
कृपा करो कान्हा जी.......
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