इश्क़ का एहसास
ये भी इश्क़ में मैंने अजब एहसास है देखा
नज़र से दूर रहते हो दिल के पास है देखा
नहीँ कहते जुबां से तुम फिर भी दिल सुनता है
दिल ही जवाब देता है ये विश्वास है देखा
सिमट जाती हूँ मैं ऐसे की तुम छू रहे मुझको
मेरी रूह को हो रहा है तेरा एहसास है देखा
तुमही आ जाते हो मुझमें खुद को भूल जाती हूँ
कभी मैं लौट कर देखूं तो तुमको पास है देखा
तेरे बिन रह भी पाऊं ये मुमकिन नही है अब
अब रूह को तेरे होने का हुआ एहसास है देखा
Comments
Post a Comment