आन मिलो सांवरिया
आन मिलो साँवरिया अबहुँ जमुना तीर
बाँवरी बिरहन क्षण क्षण अकुलावे नैनन सों बरसे नीर
कौन विधि हिय अपनों समझाऊँ हाय कौन विधि राखूँ धीर
जा तन लागे सो ही जाने मुझ बिरहन की पीर
बिरह ताप सों देह जरे मोरी बहती मन्द समीर
आन मिलो नन्दनन्दन अबहुँ तेरी बाँवरी होय अधीर
Comments
Post a Comment