पिय प्रेम न रँगाई
पिय प्रेम न रँगाई सखी कैसी होली आई
बिरहन को सुहावे कहाँ बिरहन के मन भाई
पिय पिय टेरत रही पिय बिन रही अकुलाई
दूर देस बसे सांवल बाँवरी की सुधि बिसराई
क्षण क्षण पीर उठे भारी कहाँ मेरो नाथ कन्हाई
आन मिलो प्रियतम प्यारे बाँवरी मनुहार लगाई
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