हुई न हसरत कभी

हुई न हसरत कभी मुझे तेरी मोहब्त की
कभी तेरी यादों में सिसक जाती तो कुछ और बात होती

कभी कभी तेरा भी ख्याल आता है मुझे
तेरे ख्यालों में ही बस डूब जाती तो कुछ और बात होती

हसरतें न पूरी हुई मेरी अभी इस जमाने से
कभी तेरी चाहत की हसरत उतर जाती तो कुछ और बात होती

अभी तो मसरूफ हैं हम मिल लेंगें तुझसे कभी
तुझसे मिलने की आग कभी जलाती तो कुछ और बात होती

अभी तो गुनगुनाता है दिल नए नए तराने यहां
कभी तेरे दिल की बात सुन पाती तो कुछ और बात होती

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