रज को टीको

लगाओ री मोरी सखियो या रज को माथे पर टीको
यमुना पुलिन श्यामश्यामा सँग लागे वृन्दावन नीको
वृन्दावन की रज होय जावो तबहुँ विश्राम हिय को
श्यामश्यामा रटो रसना सों श्यामश्यामा ही दीखो
बाँवरे होय या रज माँहिं लौटो या जगत लागे फीको
दासी को सेवा माँहिं राखियो गलबहियाँ रखियो पिय को

Comments

Popular posts from this blog

भोरी सखी भाव रस

घुंघरू 2

यूँ तो सुकून