नित नित हिय जले

नित नित जले हिय मेरो ऐसो अग्न तपावे
क्षण क्षण अश्रु रहें प्रवाहित रसना हरि हरि गावे
ऐसो रहे व्याकुल मेरो मन कबहुँ चैन नाँहिं आवे
पुनि पुनि अपनो हिय बुहारे श्यामाश्याम बुलावे
मग जोवत रहे जुगल जोरि को पुनि पुनि द्वारे धावे
बिन दरस किये युगल चरण के जीवन नाँहिं गमावे

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