एक यही वर चाहूँ
एक यही वर चाहूँ नाथ मोरे श्यामाश्याम ही गाऊँ
युगल चरणन की रति दीजो युगल सेवा को पाऊँ
रसना सों कछु और न उच्चरुं युगल नाम ही गाऊँ
युगल नाम ही होय साँचो धन निर्धन न रह जाऊँ
नाथ सुनियो मेरो अर्जी तुम सों बस अर्ज सुनाऊँ
युगल रहें समाय नैन कोर माँहिं चरणन सेवा पाऊँ
Comments
Post a Comment